
13 दिसंबर 2014... भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रही टेस्ट सीरीज का पहला मैच एडिलेड में खेला जा रहा था। भारत को पांचवें दिन जीत के लिए चौथी पारी में 364 रन का टारगेट मिला था। मैच से पहले क्रिकेट के बड़े-बड़े दिग्गज बता रहे थे कि पांचवे दिन की पिच पर इतना बड़ा लक्ष्य हासिल करना काफी मुश्किल है। हालांकि बहुत सारे क्रिकेट प्रेमियों को भारत से एक चमत्कार की उम्मीद जरूर थी।
'भारत मैच ड्रॉ कराएगा'
कपिल देव, सुनील गावस्कर जैसे खिलाड़ियों का कहना था कि पांचवे दिन अपनी सभी 10 विकेट बचा लेना ही बड़ी बात होती है, इतने बड़े स्कोर का पीछा करने जाना जोखिम से भरा हो सकता है। कोई बता रहा था कि जो टीम ऑस्ट्रेलिया में आकर सीरीज का पहला मैच हार जाती है, उसके लिए फिर वापसी करना लगभग असंभव हो जाता है।
ऐसे में ज़्यादातर एक्सपर्ट्स का आकलन यही था कि अगर शुरू में कुछ विकेट गिरते हैं (जिसकी संभावना हमेशा रहती है) तो भारत इस मैच को ड्रॉ कराने की दिशा में लेकर जाएगा।
जीत के लिए गया भारत

भारतीय कप्तान एमएस धोनी इस मैच के लिए मौजूद नहीं थे। इसलिए 25 वर्षीय विराट कोहली को पहली बार कप्तानी की ज़िम्मेदारी दी गई थी। कोहली ने मिचेल जॉनसन की घातक गेंदबाजी और नाथन लायन की फिरकी लेती गेंदों के सामने पिछली पारी में पहले ही एक शतक जमा दिया था।
ऐसे में दूसरी पारी में भी भारतीय टीम ने जल्द ही अपने इरादे साफ कर दिए। भारत 5वें दिन की मुश्किल पिच पर ऑस्ट्रेलिया के घर में जीत दर्ज करना चाहता था। लंच तक भारत का स्कोर 105/2 था। अब आखिरी दो सेशन में भारत को जीत के लिए 259 रन की दरकार थी।
कोहली ने जॉनसन को धोया

पहली पारी में मिचेल जॉनसन की एक खतरनाक बाउंसर कोहली के हेलमेट पर जाकर लगी थी। इसके बाद एक बार को सब भारतीय फैंस का मन बैठ गया। दर्शकों को 2013 एशेज सीरीज वाले खतरनाक जॉनसन की एक बार फिर याद हो आई। लेकिन उसके बाद कोहली ने जॉनसन की बाउंसर पर जो चौके लगाए... वो आज भी याद किए जाते हैं। कोहली ने वनडे क्रिकेट में अपना लोहा मनवाने के बाद ऐलान कर दिया कि वो टेस्ट मैचों में भी हर चुनौती का सीधा सामना करने के लिए तैयार हैं।

कोहली-मुरली ने बढ़ाई टेंशन
स्पिनर नाथन लायन पहली पारी में ही 5 विकेट झटक चुके थे। लेकिन 5वें दिन की पिच पर घूमती उनकी गेंदें विराट कोहली और मुरली विजय को चकमा देने में नाकाम साबित हो रहीं थी। ये दोनों बल्लेबाज भारतीय समर्थकों को एक शानदार जीत की उम्मीद दे रहे थे। भारत ने केवल 2 विकेट के नुकसान पर 242 रन जड़ दिए। अब भारत को जीत के लिए केवल 118 रन चाहिए थे। लेकिन तभी मुरली विजय 99 रन के स्कोर पर आउट हो गए और कोहली-विजय की 185 रन की बेहतरीन साझेदारी टूट गई।
कोहली ने दोनों पारियों में शतक जड़े

मुरली के आउट होने के बाद भारतीय विकेट्स की झड़ी लग गई। एक के बाद एक बल्लेबाज आते थे और लायन की फिरकी में फंसते जाते थे। भारत ने 299 रन के स्कोर पर 6 विकेट गंवा दिए थे। लेकिन कोहली अभी भी अकेले मोर्चा संभाले हुए थे। वह अभी भी मैच ड्रॉ कराने की कोई कोशिश नहीं कर रहे थे। तभी लायन की एक छोटी गेंद को बाउंड्री पार पहुंचाने की कोशिश में कोहली भी आउटफील्ड में कैच थमा बैठे और भारत की बची खुची उम्मीदें भी टूट गई। कोहली ने 5वें दिन की पिच पर 141 रन की शानदार पारी खेली। लेकिन भारत 315 रन पर ऑलआउट होकर 48 रन से मैच हार गया। लायन ने मैच में 12 विकेट लिए।

भारत ने फैंस को दी नई उम्मीद

इस हार ने भारतीय क्रिकेट फैन्स को दुख तो ज़रूर दिया, लेकिन उससे भी कहीं ज़्यादा उम्मीद दी। भारतीय टीम कुछ महीने पहले ही इंग्लैंड में 1-3 से सीरीज हारकर आई थी। कोहली इंग्लैंड में 10 पारियों में केवल 134 रन बना पाए थे। इससे पहले 2011 में भी भारतीय टीम दोनों इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के दौरों पर 0-4 और 0-4 से क्लीनस्वीप कराकर लौटी थी, उसी टीम ने इस तरह का एटीट्यूड दिखाकर फैन्स में एक नई उम्मीद जगा दी थी।
ऑस्ट्रेलियंस को दिया उन्हीं की भाषा में जवाब

ऑस्ट्रेलिया में बतौर कप्तान अपने पहले ही मैच की दोनों पारियों में शतक जमाकर अपने रवैये से कोहली ने नई भारतीय टीम की घोषणा कर दी थी। हालांकि इसके बाद भारत 0-2 से यह सीरीज भी हार गया। लेकिन कोहली ने इस मैच में जो आत्मविश्वास और बॉडी लैंग्वेज दिखाई थी। उन्होंने जिस तरह से ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की स्लेजिंग का जवाब उन्हीं के अंदाज में दिया था, उसने भारतीय टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में एक नए दौर की शुरुआत की।
विराट कोहली ने इस सीरीज में 4 शतक जड़ते हुए 86.50 की औसत से 692 रन बनाए थे।
विदेश में जीतीं लगातार 5 सीरीज

2018 में अगले दौरे पर कोहली की कप्तानी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में 2-1 से पटकनी दी। पहली बार किसी भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीती थी। इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में भी भारत ने कई रोमांचक मुकाबले जीते, हालांकि कुछ करीबी मुकाबलों में भारत को हार भी मिली। लेकिन अब भारत को एकतरफा हराने का आइडिया पीछे छूट चुका था। 2021 में कोहली की कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड में सीरीज के पहले 4 मैचों में 2-1 की बढ़त बनाई (हालांकि इसके बाद कोविड के चलते सीरीज को बीच को बीच में रोकना पड़ा)। कोहली की कप्तानी में भारत ने विदेशी जमीन पर लगातार 5 टेस्ट सीरीज जीती।
'पिच को निकालो गेम से'

कप्तान कोहली और कोच रवि शास्त्री की जोड़ी ने ऐसे गेंदबाजों को टीम में शामिल करने पर बहुत जोर दिया था, जो टेस्ट मैच में 20 विकेट झटक सकें क्योंकि टेस्ट मैच जीतने का इसके अलावा और कोई तरीका नहीं है। कोच रवि शास्त्री ने कई बार कहा है- 'हमारी सोच थी कि पिच को गेम से निकालो... जो भी पिच मिले हमें 20 विकेट लेने हैं।' अब भारतीय टीम को इससे फर्क नहीं पड़ता था कि पिच घरेलू टीम की कितनी मदद करती है, इस टीम ने दुनिया के हर कोने में टेस्ट मैचों में अपना दमखम दिखाया।
3.5 साल तक नंबर-1 रही टीम इंडिया

कोहली की कप्तानी ने टेस्ट मैच को नया तेवर दिया। अब भारत रिजल्ट-ओरिएंटेड क्रिकेट खेल रहा था... या तो जीत मिले या हार... टेस्ट मैच ड्रॉ कराने को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती थी। इस दौरान भारतीय टीम 42 महीने तक टेस्ट रैंकिंग में नंबर 1 टीम बनी रही जोकि एक रिकॉर्ड है। कोहली की कप्तानी में भारत ने 68 मैच खेले, जिनमें से 40 मैचों में भारत को जीत मिली जबकि इस दौरान भारत केवल 17 मैच हारा। कोहली की कप्तानी में भारत ने अपने घर पर खेली 11 टेस्ट सीरीज में से एक भी नहीं हारी।

विराट कोहली भारत के लिए सबसे ज्यादा टेस्ट मैच जीतने वाले कप्तान तो हैं ही, लेकिन उन्होंने जिस कॉन्फिडेंस और एटीट्यूड से यह हासिल किया है, वह बहुत ख़ास है। कोहली के माइंडसेट का जो असर दुनियाभर में टेस्ट क्रिकेट पर पड़ा, उसे दशकों तक याद किया जाएगा।

(टेस्ट मैच में विराट कोहली के योगदान पर लिखने के लिए और बहुत कुछ ध्यान आ रहा है, लेकिन फिलहाल खुद को रोक रहा हूं, बाकी फिर कभी...)
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