2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों का जितनी बेसब्री से इंतजार 34 करोड़ अमेरिकी कर रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा संख्या में दूसरे देशों के लोग भी इस चुनाव पर टकटकी लगाए हुए हैं. एक तरफ जहां पश्चिम एशिया में इज़राइल और ग़ाज़ा, हिज़्बुल्लाह व ईरान के बीच जंग छिड़ी हुई है, तो वहीं पूर्वी यूरोप में भी रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का इन सब घटनाओं पर व्यापक असर पड़ सकता है. भारत के नज़रिए से भी चीन के साथ तनाव और कनाडा व अमेरिका में हुई हालिया घटनाओं के चलते इस चुनाव के कुछ असर हो सकते हैं.
लेकिन यह चुनाव अमेरिका की स्थानीय राजनीति के लिए बेहद अहम है. यह किसी भी नज़रिए से राष्ट्रपति का एक सामान्य चुनाव नहीं है. अमेरिका के चुनावों के 235 साल से ज़्यादा के इतिहास में यह अपनी तरह का पहला चुनाव होने जा रहा है. इसमें जहां एक तरफ रिपब्लिकन पार्टी के लिए 2020 का राष्ट्रपति चुनाव हारने वाले पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प उम्मीदवार हैं, तो दूसरी तरफ डेमोक्रेट्स के लिए चुनाव से केवल 3 महीने पहले मैदान में उतरीं कमला हैरिस प्रत्याशी हैं.
अनोखे प्रत्याशी हैं डोनाल्ड ट्रम्प
अमेरिका के इतिहास में केवल एक राष्ट्रपति ऐसे हुए हैं जिन्होंने 4 साल के अंतराल के बाद दोबारा राष्ट्रपति की कुर्सी हासिल की थी. 1892 के राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट पार्टी के ग्रोवर क्लीवलैंड ने 1888 का चुनाव हारने के बाद दोबारा सत्ता में वापसी की थी.
डोनाल्ड ट्रम्प केवल इस मामले में अनोखे प्रत्याशी नहीं हैं, बल्कि वह लगभग हर तरीके से किसी भी अन्य राजनेता से पूरी तरह अलग हैं. सबसे प्रमुख बात उनकी उम्मीदवारी के बारे में यह है कि वह 2020 के चुनाव के नतीजों को मानने से इनकार कर चुके हैं और वो आज भी इस बात पर कायम हैं कि उस चुनाव में उन्हें धांधली करके हराया गया था. वह अमेरिकी इतिहास में शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण ना करने वाले पहले नेता हैं. उन्होंने चुनाव के बाद 6 जनवरी 2021 को कांग्रेस (अमेरिकी संसद) में चल रही चुनावी प्रक्रिया को रोकने के लिए दंगाइयों की भीड़ को उकसाने का भी काम किया था. जिसके बाद रिपब्लिकन पार्टी के कई बड़े नेताओं ने उनका साथ छोड़ दिया था, हालांकि बाद में उनमें से कई नेता वापस ट्रम्प के साथ आ गए.
कमला को मिला दर्जनों रिपब्लिकन नेताओं का साथ
कमला हैरिस के इस चुनावी दौड़ में शामिल होने के बाद से इस बार का चुनावी प्रचार भी कई मामलों में अनोखा रहा है. कमला को इस प्रचार में जिस तरह के लोगों का समर्थन मिला है, वह ऐतिहासिक है. जीवनभर रिपब्लिकन पार्टी को वोट देने वाले सैकड़ों बड़े-छोटे नेता कमला के समर्थन में उतरे हुए हैं. अमेरिकी चुनाव के इतिहास में यह पहला मौका बताया जा रहा है जब इतने विपक्षी नेताओं ने खुले तौर पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ दूसरे उम्मीदवार का समर्थन किया है.
रिपब्लिकन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के साथ उपराष्ट्रपति रहे डिक चेनी से लेकर ट्रम्प की कैबिनेट में काम कर चुके नेताओं और अधिकारियों समेत कई दर्जन लोग खुले तौर पर कमला का समर्थन कर चुके हैं. यहां तक कि 2017-21 तक ट्रम्प के साथ उपराष्ट्रपति रहे माइक पेंस भी उनका समर्थन करने से इनकार कर चुके हैं. 2012 चुनाव के रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोमनी भी इसी सूची में शामिल हैं. पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने खुद अपनी पार्टी के प्रत्याशी ट्रम्प का खुले तौर पर समर्थन नहीं किया है. ट्रम्प की नस्लभेदी राजनीति और अन्य नीतियों से अलग लगभग इन सबका एक तर्क रहा है, वह है- 'ट्रम्प के सत्ता में आने से अमेरिकी संविधान और लोकतंत्र के लिए पैदा होने वाला खतरा'.
ट्रम्प के पिछले कार्यकाल की खतरनाक बातें आई सामने
ट्रम्प के पहले कार्यकाल में उन्होंने कई बार ऐसे फैसले लेने की कोशिश की, जो अमेरिकी संविधान का उल्लंघन साबित होते. उन्होंने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सेना उतारकर उनपर गोलियां चलाने का सुझाव दिया. उन्होंने मैक्सिको की तरफ से आने वाले प्रवासियों पर मिसाइल चलाने की बात कही. उन्होंने अमेरिकी सेना के अफसरों को हिटलर के जनरलों की तरह वफादार होने की बात कही. हालांकि उनके आसपास पहले से चला आ रहा अमेरिकी तंत्र इतना मज़बूत था कि ट्रम्प बहुत सारी खतरनाक चीजों को अंजाम नहीं दे पाए.
ट्रम्प के साथ काम करने वाले सेना के बेहद वरिष्ठ जनरलों ने ट्रम्प को फासीवादी क़रार दिया है. इसके अलावा भी ट्रम्प के पहले कार्यकाल से इस तरह से दर्जनों उदाहरण सामने आ चुके हैं.
पहले से भी ज़्यादा खतरनाक माने जा रहे हैं ट्रम्प
पहले कार्यकल में ट्रम्प के साथ काम करने वाले दर्जनों करीबी लोग भी पिछले 4 साल में उनका साथ छोड़ चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद ट्रम्प अब पहले से भी ज़्यादा खतरनाक बताए जा रहे हैं. पिछले 4 साल में ट्रम्प को ऐसे धुर-दक्षिणपंथी लोगों को साथ मिला है, जिनकी संविधान के प्रति निष्ठा पर सवाल खड़े होते रहे हैं. इन लोगों ने ट्रम्प के अगले कार्यकाल को लेकर योजनाबद्ध तरीके से काम किया है. इसके लिए 'प्रोजेक्ट 2025' नाम का एक दस्तावेज भी प्रकाशित किया गया था, जिसको लेकर अमेरिका में ख़ासी चर्चा भी देखने को मिली है.
ट्रम्प का साथ दे रहे इन लोगों का मानना है कि पिछले कार्यकाल में नौकरशाही ने ट्रम्प की ठीक से मदद नहीं की और पुराने ढर्रे पर ही नीतियों को चलता रहने दिया. ऐसे में इस दफा इन लोगों का एक घोषित लक्ष्य 'ब्यूरोक्रेसी को ट्रम्प के प्रति वफादार बनाना' है. वो चाहते हैं कि FBI जैसी संस्थाएं स्वतंत्र रूप से काम करने के बजाए सीधे ट्रम्प के नियंत्रण में रहें. एलन मस्क और विवेक रामास्वामी जैसे लोग जो ट्रम्प के लिए खुलकर प्रचार कर रहे हैं, वो कई सरकारी विभागों और मंत्रालयों को पूरी तरह बंद करने की वकालत कर चुके हैं.
कमला का सबसे मज़बूत पक्ष- 'वो ट्रम्प नहीं हैं'
कमला हैरिस एक राजनेता के तौर पर, ट्रम्प की तरह जनता के बीच लोकप्रिय नहीं रही हैं. 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने अपनी पार्टी की तरफ से दावेदारी पेश की थी, लेकिन खराब शुरुआत के चलते उन्होंने जल्द ही कदम पीछे हटाते हुए अपना नाम वापस ले लिया था. 2024 में केवल 3 महीने पहले चुनाव में उतरी कमला हैरिस का सबसे मज़बूत पक्ष ये रहा है कि वो डोनाल्ड ट्रम्प नहीं हैं और उन्होंने खुद को एक सामान्य राजनेता की तरह पेश करने की कोशिश की है.
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और बिल क्लिंटन के अलावा पूर्व फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा और 2016 चुनाव की डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन समेत तमाम बड़े नेता उनके समर्थन में प्रचार कर रहे हैं.
'विचारधारा भूलकर लोकतंत्र बचाने का चुनाव'
कमला का समर्थन करने वाले विरोधी रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं का मतदाताओं से केवल यही कहना है कि यह नीतियों और विचारधारा को भूलकर लोकतंत्र को बचाने का चुनाव है. कमला ने भी स्वतंत्र मतदाताओं और रिपब्लिकन पार्टी के उन मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश की है, जो ट्रम्प के व्यक्तित्व और उनकी धुर-दक्षिणपंथी विचारधारा को पसंद नहीं करते हैं. इसी कोशिश में कमला ने एक रिपब्लिकन व्यक्ति को अपनी कैबिनेट में जगह देने की घोषणा की है. साथ ही उन्होंने अपनी कई पुरानी वामपंथी नीतियों से भी कदम पीछे हटा लिए हैं.
हैरिस कैंपेन ने ट्रम्प का नाम लेना किया बंद
कमला हैरिस ने बेहद ही संतुलित और अनुशासनात्मक तरीके से अपना प्रचार अभियान चलाया है. उन्होंने ट्रम्प के खिलाफ अपनी भाषा का भी पूरा ख़याल रखा है. एक और बात सामने आ रही है कि वोटिंग डे से 2-3 दिन पहले हैरिस ने डोनाल्ड ट्रम्प का नाम लेना भी बंद कर दिया है. हैरिस कैंपेन का मानना है कि वो इस प्रचार अभियान को पॉजिटिव तरीके से समाप्त करना चाहते हैं.
महंगाई और प्रवासियों के मुद्दे से हो रहा ट्रम्प को फायदा
क्या केवल एकता का संदेश देने वाला कैंपेन ही कमला के लिए काफी होगा, जबकि ट्रम्प राष्ट्रपति बाइडन और उपराष्ट्रपति हैरिस के 4 साल के कार्यकाल पर जमकर सवाल उठा रहे हैं. कोविड महामारी के बाद से अमेरिकी लोग भी कई तरह की आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं. ट्रम्प इस दौरान बढ़ी महंगाई और अमेरिका में आए लाखों अवैध प्रवासियों का मुद्दा पूरे ज़ोर-शोर से उठा रहे हैं. चुनाव से पहले सामने आ रहे अलग-अलग सर्वेक्षणों में वह जनता के इस गुस्से का फायदा उठाते भी दिख रहे हैं. लेकिन किसी भी सर्वेक्षण में किसी एक उम्मीदवार को स्पष्ट जीत का संकेत नहीं मिल रहा है. हालांकि इस बात की बेहद संभावना है कि कमला हैरिस को देशभर में ट्रम्प से कई लाख वोट ज़्यादा हासिल होंगे. लेकिन अनोखी अमेरिकी चुनावी प्रक्रिया के चलते अगर ट्रम्प 270 इलेक्टोरल वोट हासिल कर लेते हैं, तो हैरिस को मिले इन वोटों का कोई महत्व नहीं होगा.
अमेरिकी लोकतंत्र झेल पाएगा ट्रम्प का एक और कार्यकाल ?
दोनों कैंपेन्स ने अपनी जीत का दावा करते हुए आत्मविश्वास जाहिर किया है, लेकिन ट्रम्प ने कई जगहों पर अभी से चुनाव में धांधली को लेकर चेतावनी देना शुरू कर दिया है. ऐसे में अमेरिकी चुनाव की अस्मिता और अमेरिकी लोकतंत्र की मज़बूती को लेकर बातें होनी शुरू हो गई हैं. अमेरिकी चुनाव पर नज़र बनाए लोगों के मन में दो सवाल लगातार उठ रहे हैं.
पहला, अगर ट्रम्प चुनाव जीत जाते हैं तो क्या अमेरिकी लोकतंत्र ट्रम्प का एक और कार्यकाल झेल पाएगा, जिसकी पूरी संभावना है कि यह उनके पहले कार्यकाल से कहीं ज़्यादा खतरनाक साबित हो सकता है.
और दूसरा सवाल, अगर ट्रम्प हार जाते हैं या नतीजों में कुछ देरी होने लगती है (कई राज्यों की चुनावी प्रक्रिया को देखते हुए इसकी पूरी संभावना है), तो क्या ट्रम्प नतीजों को शांतिपूर्वक तरीके से स्वीकार कर लेंगे या पिछले अमेरिकी चुनाव की तरह इस बार फिर वो हिंसक तरीके से नतीजों को पलटने की कोशिश करेंगे?
हर हाल में ऐतिहासिक होगा चुनाव का नतीजा !
इस चुनाव का नतीजा चाहे जो भी हो, यह एक ऐतिहासिक चुनाव होगा. अगर ट्रम्प जीतते हैं तो यह अमेरिकी इतिहास का सबसे तगड़ा पॉलिटिकल कमबैक कहा जाएगा.
और अगर कमला हैरिस यह चुनाव जीत जाती हैं तो वह अमेरिकी लोकतंत्र के दो सदी से लंबे इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति होंगी. वह पहली अश्वेत महिला राष्ट्रपति भी होंगी. संभवतः यह ट्रम्प के राजनीतिक करियर का अंत तो होगा ही, लेकिन साथ ही वह जेल जाने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति भी बन सकते हैं.
(इस लेख में चुनाव के मुद्दों और दोनों प्रत्याशियों के मज़बूत व कमज़ोर पक्षों पर और भी बात हो सकती थी, लेकिन इस चुनाव के महत्व पर बात करते-करते 1,500 से ज़्यादा शब्द हो चुके हैं. हालांकि ट्रम्प किस वजह से इतने लोकप्रिय राजनेता बने, इसपर फिर कभी एक लेख लेकर हाजिर होने की कोशिश करूंगा.)
Write a comment ...